देश के बुर्जुगों के लिए केंद्र सरकार लगातार कई योजनाओं पर काम कर रही है। इसी कड़ी में मोदी सरकार मेंटनेंस और वेलफेयर ऑफ पेरेंट्स और सीनियर सिटिजन (अमेंडमेंट) बिल 2019 पर इस मॉनसून सत्र में फैसला ले सकती है। आपको बता दें कि मॉनसून सत्र की शुरुआत 19 जुलाई से शुरु हो चुका है। इस सत्र में मोदी सरकार वेलफेयर ऑफ पेरेंट्स और सीनियर सिटिजन (अमेंडमेंट) बिल 2019 पर चर्चा कर सकती है। ये बिल सरकार के एजेंडा में बहुत पहले से था।
दरअसल, वेलफेयर ऑफ पेरेंट्स और सीनियर सिटिजन बिल को साल 2019 दिसंबर में कैबिनेट ने पास कर दिया था। इस बिल का उद्देश्य माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों को आत्मनिर्भर बनाना है, ताकि इस उम्र में भी उन्हें अपनी जरुरतों के लिए किसी पर निर्भर रहने की आवश्यकता न पड़े। देश में कोविड-19 महामारी को ध्यान में रखते हुए यह विधेयक मौजूदा सत्र में संसद में पास हो सकता है। इससे वरिष्ठ नागरिकों और अभिभावकों को सिक्योरिटी मिलेगी। संसद में लाने से पहले इस बिल में कई बदलाव किये गए।
वेलफेयर ऑफ पेरेंट्स और सीनियर सिटिजन बिल कैबिनेट ने दिसंबर 2019 में बच्चों के स्पेस को बढ़ाय। इसमें बच्चे, पोतों, जिनकी उम्र 18 साल से ज्यादा है, उनको शामिल किया गया है। बिल में सौतेले बच्चे, गोद लिये बच्चे और नाबालिग बच्चों के कानूनी अभिभावकों को भी शामिल किया गया है। यानी अगर किसी का गोद लिया बच्चा एक अच्चा केयर टेकर है तो उसे भी शामिल किया गया है।
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ये बिल पास होने के बाद नए कानून के तहत 10,000 रुपये पेरेंट्स को मेंटेनेंस के तौर पर देने होंगे। सरकार ने स्टैंडर्ड ऑफ लिविंग और पेरेंट्स की आय को देखते हुए ये राशि तय की गई है। कानून में बायोलिजकल बच्चे, गोद लिये बच्चे और सौतेले माता पिता को भी शामिल किया गया है। मेंटेनेस का पैसा देने का समय पहले 30 दिन रखा गया था लेकिन अब उसे घटाकर 15 दिन कर दिया गया है।