20साल की लंबी लड़ाई के बाद अमेरिकी सेना के लौटने के बाद तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया है। तालिबान लड़ाकों ने काबुल स्थित राष्ट्रपति भवन पर भी कब्जा किया। इन सब के बीच राष्ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़कर भागे। वहीं बाकी लोग भी अपनी जान बचाने के लिए काबुल एयरपोर्ट की ओर और दौड़े। अफगानिस्तान में तालिबान कितना खौफ है, इसका अंदाजा आप अफगान से लौटीं महिलाओं द्वारा बयां किए गए दर्द से लगा सकते हैं।
दिल्ली के भोगल में अफगान मूल के कई लोग रहते हैं। अरफा नाम की महीला अफगानिस्तान के मजार-ए-शरीफ की रहने वालीं हैं। अरफा ने बताया कि तालिबान भले ही कह रहा है कि महिलाओं पर अत्याचार नहीं हो रहा हैं, लेकिन सबने पहले तालिबान राज देखा है कि क्या हुआ था। उस वक्त महिलाओं खासतौर से युवा लड़कियों के साथ बहुत अत्याचार हुआ। उस समय तालिबान के लड़ाके आते थे। लड़कियों को उठाते थे। जबरन शादी करते थे। गलत काम करते थे और छोड़ देते थे।
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अरफा ने बताया कि कि उनकी परिवार वालों से बात हुई है। वहां सभी महिलाएं डरी हुई हैं। कोई भी घर से नहीं निकल रहा है। सिर्फ बुजुर्ग महिलाएं निकल रहीं हैं, वो भी किसी के साथ। वहां के लोगों ने तालिबान राज को बुरा सपना बताया हैं। वो इसके लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहरा रहे है। अरफा के अलावा, जवाद बाजून भी अफगान मूल का हैं। जवाद एक स्टूडेंट हैं और काबुल का रहना वाला हैं। जवाद का कहना हैं कि अशरफ गनी ने उनके देश को बेच दिया है। जवाद ने बताया कि उनका भाई भारत आ रहा था, लेकिन तालिबानियों ने उनका मोबाइल छीन लिया और काबुल एयरपोर्ट के पास रोक लिया।